उत्कट आसन का नामकरण – इसका उत्कट आसन नाम इसलिए पड़ा कि इसमें बैठने से उत्सुकता झलकती हैं उत्सुकता के समय आदमी इसी प्रकार बैठता है ताकि यदि जल्दी से कुछ काम करना हो तो तुरंत उठ जायें। पंजे और एड़ियाँ परस्पर जुड़ी हुई रहती हैं। उत्कट…
उत्कट आसन का नामकरण – इसका उत्कट आसन नाम इसलिए पड़ा कि इसमें बैठने से उत्सुकता झलकती हैं उत्सुकता के समय आदमी इसी प्रकार बैठता है ताकि यदि जल्दी से कुछ काम करना हो तो तुरंत उठ जायें। पंजे और एड़ियाँ परस्पर जुड़ी हुई रहती हैं। उत्कट…
गरूड़ासन का नामकरण – दोनों जाँघो और घुटनों से धरती को दबायें और देह को स्थर रखें तथा दोनों घुटनों पर दोनों हाथ रखकर बैठ जायें। यह गरूड़ासन कहलाता है। गरूड़ासन की विधी – सामान्य प्रचलित प्रक्रिया इस प्रकार है – जमीन पर बैठ कर पैरों को सामने…
सर्वांगासन का नामकरण – इस आसन को करने से प्रत्येक अंग पर प्रभाव पड़ता है। इसलिए इस आसन को सर्वांगासन कहते हैं। सर्वांगासन की विधि – सर्वप्रथम पीठ के बल लेट जाइए। हाथ बगल में रहें तथा पैर सीधे। शरीर को ढीला छोड़ दें। अब दोनों पैरों को…
हठयोग – योग विद्या के विविध आयामों में हठयोग (HathaYog) का अपरिहार्य स्थान है। कहा जाता है कि हठयोग (HathaYog) और तंत्र विद्या का संबंध अधिक निकट है अर्थात तंत्र विद्या से हठयोग (HathaYog) की उत्पत्ति हुई। ऐसा कथन इसलिए कहा गया होगा कि भगवान शिव…
संकट आसन का नामकरण – यह एक कठिन आसन है। दोनों पैरों में दर्द होने पर पेशियों को आराम देने के लिए हम एक पैर को उस संकटमय स्थिति में ऊपर उठा लेते हैं। इसलिए इसे संकटासन कहते है। संकट आसन की विधि – खडे़ होकर…
होम्योपैथी (Homeopathy) – होम्योपैथी की खोज जर्मन के मशहूर डॉक्टर क्रिसचन फ्रेडरिक सैमुएल हैनिमैन ने 1796 में किया था होम्योपैथी (Homeopathy) एक ऐसा चिकित्सा विज्ञानं है जिसमें बीमारी का इलाज ऐसी दवाओं या औषधि द्वारा किया जाता है जिनका परीक्षण पूर्ण रूप से स्वस्थ मनुष्य पर पहले…
गोमुखासन का नामकरण – शरीर की आकृति गाय के मुख के समान हो जाती है इसलिए गोमुखासन कहते हैं। गोमुखासन की विधि – सर्वप्रथम पैरों को फैला लेते हैं। इस आसन में इस प्रकार बैठते हैं कि एक पैर दूसरे पैर के ऊपर रहे तथा एड़ियाँ बगल में…
मयूरासन का अर्थ – मयूर के आकृति होने के कारण इस आसन को विशेषज्ञों ने मयूरासन कहा है। यह जठराग्नि को प्रदीप्त करता है। मयूरासन की विधि– पहले वज्रासन में बैठ जाते हैं और घुटनों को अलग कर सिंहासन की स्थिति में आ जाते हैं, जिसमें दोनों…
इस इकाई में षट्कर्म (shatkarm) का सामान्य परिचय दिया जा रहा है। इसमें आप जान सकेंगे हठ यौगिव ग्रंथों में शोधन क्रियाओं का क्या महत्व है। इसे योगाभ्यास के प्रारंभ में करना क्यों आवश्यक है और ये कितने प्रकार के होते हैं आदि का वर्णन है।…
शीर्षासन का नामकरण – इस आसन में सिर के बल उलटा खड़ा होना होता है इसलिए इसे शीर्षासन कहते हैं। शीर्षासन की विधि – सर्वप्रथम पंजों के बल बैठ जाइए घुटने जमीन पर लगा लीजिए दोनों हाथों की अंगुलियाँ एक दूसरे में फँसा लीजिए। दोनों कोहनियों तथा फँसे…
Mr. Ajitesh Kunwar Founder of Kunwar Yoga – he is registered RYT-500 Hour and E-RYT-200 Hour Yoga Teacher in Yoga Alliance USA. He have Completed also Yoga Diploma in Rishikesh, India.
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