मण्डूकासन (Mandukasana) क्या है?
वज्रासन में बैठ कर किए जाने वाला मण्डूकासन (Mandukasana) बहुत लाभदायक आसन है| मंडूकासन में मंडूक का अर्थ है मेंढक| आसन का अभ्यास करते हुए जब हम पूर्णता की स्थिति में आते हैं तो शरीर की आकृति एक मेंढक के समान दिखाई देती है, इसलिए इसे मण्डूकासन (Mandukasana) या frog pose कहते हैं|
मण्डूकासन (Mandukasana) की विधि –
मण्डूकासन (Mandukasana) विधि 1 –
- पहले, वज्रासन में बैठें। अपनी दोनों हाथों की मुठ्ठें बनाएं और ध्यान दें कि आपके अंगूठे अंदर की ओर हों।
- अब, अंगूठों को नाभि के दाएं और बाएं तरफ से नीचे की ओर ले जाएं।
- श्वास भरें और धीरे-धीरे कमर को नीचे की ओर झुकाएं।
- ध्यान रखें कि आपके एडियाँ हिप्स से मिले रहें।
- पूरी तरह झुकने के बाद, सामने की ओर देखें।
- इस स्थिति में सामान्य श्वास लेते रहें।
- अपने सामर्थ्य के अनुसार, वापस आने के लिए श्वास लेते हुए धीरे-धीरे उठें।
मण्डूकासन (Mandukasana) विधि 2 –
- वज्रासन में बैठें।
- अब, दोनों हाथों को कप बनाएं। पहले बाएं हाथ को नाभि पर रखें, फिर दाएं हाथ को नाभि पर रखें।
- श्वास भरें और श्वास छोड़ते हुए धीरे-धीरे कमर को निचले भाग से आगे की ओर झुकें।
- ध्यान रखें, आपके एडियाँ और हिप्स मिले रहें।
- पूरी तरह आगे झुकने के बाद सामने की ओर देखें।
- यह पूर्णता की स्थिति है, सामान्य श्वास लेते रहें।
- अपने सामर्थ्य के अनुसार रुकें। अब, श्वास भरते हुए धीरे-धीरे वापिस आएं।
श्वास – इस आसन में श्वास धीमी और लयबद्ध होनी चाहिए।
मण्डूकासन (Mandukasana) को कब करना चाहिए?
मण्डूकासन (Mandukasana) का अभ्यास अन्य योगासनों के तरह खाली पेट ही किया जाना चाहिए। इसलिए, इस आसन को सुबह या शाम में करना उपयुक्त होता है। योगाभ्यास करने के 3 से 4 घंटे बाद ही आसनों का अभ्यास किया जाना चाहिए। जब हम समूह में योग का अभ्यास करते हैं, तो हमें योगासनों के सही तरीके, योगासनों की दौरान कितनी देर करना चाहिए, और किसी आसन को करते समय किस बात का ध्यान रखना चाहिए, इसकी पूरी जानकारी प्राप्त होती है। लेकिन किसी विशेष उद्देश्य की पूर्ति के लिए, योगासनों का अधिक समय नहीं दिया जा सकता है। इसलिए, अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए, सुबह घर पर मंडूकासन की अभ्यास करना चाहिए। मंडूकासन को कई बार करें और पूर्णता की स्थिति में रुकने का समय बढ़ाएं। कम से कम 3 से 5 मिनट तक योगासन का अभ्यास करें, जिससे आपको अधिक लाभ मिले।
मण्डूकासन (Mandukasana) से लाभ –
शारीरिक लाभ:
- पेट और कूल्हों की चर्बी को कम करने में मदद करता है।
- हिप्स में लचीलापन लाता है।
- पीठ के निचले हिस्से के दर्द से राहत दिलाता है।
- शरीर में इंसुलिन की मात्रा बढ़ाता है।
- मूत्राशय और मलाशय के स्वास्थ्य में सुधार करता है।
मानसिक लाभ:
- तनाव और चिंता को कम करने में मदद करता है।
- एकाग्रता और ध्यान में सुधार करता है।
- मनोदशा में सुधार करता है।
मण्डूकासन (Mandukasana) करने के दौरान सावधानियां:
- यदि आपको पीठ या कूल्हों में दर्द है, तो इस आसन को करने से बचें।
- यदि आपको सांस लेने में तकलीफ हो रही है, तो इस आसन को तुरंत छोड़ दें।
मण्डूकासन (Mandukasana) किसको नहीं करना चाहिए?
- जिनके पेट की सर्जरी हो चुकी हो, उन्हें 2-3 महीने तक इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
- गर्भावस्था के दौरान इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
- उच्च रक्तचाप की समस्या या चक्कर आने की समस्या होने पर भी यह आसन नहीं करना चाहिए।
- घुटनों में अधिक दर्द होने पर भी यह आसन नहीं करना चाहिए।
मण्डूकासन (Mandukasana) कितने समय तक करना चाहिए?
मण्डूकासन (Mandukasana) की कई आवृतियाँ करनी चाहिए और इस आसन का नियमित अभ्यास कम से कम 3 से 5 मिनट अवश्य करना चाहिए।
मण्डूकासन (Mandukasana) के क्या फायदे हैं?
मण्डूकासन (Mandukasana) बहुत फायदेमंद आसन है। इसका नियमित अभ्यास करने से पेट की चर्बी कम होती है, कब्ज से राहत मिलती है, उच्च रक्तचाप और मधुमेह के रोगियों के लिए लाभदायक होता है। इसे करने से तनाव कम होने में मदद मिलती है।
मण्डूकासन (Mandukasana) एक सुरक्षित और फायदेमंद आसन है जिसे शुरुआती और अनुभवी दोनों लोग कर सकते हैं। यदि आप इस आसन को करने में असमर्थ हैं, तो एक योग शिक्षक से सलाह लें।