संकट आसन का नामकरण –
यह एक कठिन आसन है। दोनों पैरों में दर्द होने पर पेशियों को आराम देने के लिए हम एक पैर को उस संकटमय स्थिति में ऊपर उठा लेते हैं। इसलिए इसे संकटासन कहते है।
संकट आसन की विधि –
खडे़ होकर बायें पैर को जमीन पर रखते हैं और दाहिने पैर को मोड़कर बायें पैर को चारों तरफ लपेट लेते हैं। दायीं जाँघ बायीं जॉघ के सामने रहेगी। हाथों को जाँघों पर दबा कर रखना है। इसके महर्षि घेरण्ड ने संकटासन कहा है।
संकट आसन से लाभ –
1. यह माँसपेशियों को पुष्ट बनाता है।
2. स्नायुओं को स्वास्थ्य प्रदान करता है। तथा पैर के जोड़ों को ढीला बनाता है।
3. यह मूलाधार चक्र को जागृत करता है।
4. एकाग्रता बढ़ती है।
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