सूर्यभेदन प्राणायाम का अर्थ एवं परिभाषा – सूर्य = पिंगला, भेदन = तोड़ना या आर-पार जाना। इस प्राणायाम में बार-बार पिंगला नाड़ी से श्वास लेते हैं, इस कारण इसे सूर्यभेदन प्राणायाम कहते हैं।
सूर्यभेदन प्राणायाम एक प्राचीन योगिक प्रयास है जिसमें श्वास को नियंत्रित करने के लिए एक विशेष तकनीक का उपयोग किया जाता है। इस प्राणायाम में, व्यक्ति को श्वास को अंतर्दृष्टि के साथ नियंत्रित करना सिखाया जाता है। “सूर्यभेदन” का शब्दार्थ होता है “सूर्य के माध्यम से निःश्वास लेना”। इस तकनीक में, व्यक्ति को वाम नासिका (अथवा चंद्रनाड़ी) के माध्यम से श्वास लेने की अनुमति नहीं होती है, केवल दाहिने नासिका (सूर्यनाड़ी) का प्रयोग किया जाता है।
यह प्राणायाम शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इसके माध्यम से, प्रणयाम करने वाला व्यक्ति अपने मन को शांत करता है, प्राणशक्ति को संतुलित करता है, और अंततः आत्मज्ञान की ओर प्रेरित होता है।
सूर्यभेदन प्राणायाम का अभ्यास ध्यान और आंतरिक शांति को प्राप्त करने में मदद कर सकता है, इसके अलावा यह श्वास और प्राण को संतुलित करता है, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारता है, और आत्मविकास को प्रोत्साहित करता है।
आसने सुखदे योगी बद्ध्वा चैवासनं ततः।
दक्षनाड्या समाकृष्य बहिस्थं पवन शनेः॥
आकेशोदनखाग्राच्च निरोधावधि कुम्भयेत्।
ततः शनैः सव्यनाडया रेचयेत् पवन शनै॥
योगाभ्यासी कोई सुखदायक आसन बिछाकर, उस पर आसन लगाकर, दाहिने नथुने से बाहरी वायु को धीरे-धीरे अंदर खींचकर, उसे जब तक हो सके अधिकाधिक निरोध करे (श्वास को रोके) और फिर बाएँ नथुने से धीरे-धीरे श्वास को छोड़े।
सूर्यभेदन प्राणायाम की विधि – सर्वप्रथम किसी ध्यानात्मंक आसन में बैठें। कमर मेरुदंड सीधा करें। ब्राह्मी मुद्रा बनाएँ तथा बायाँ हाथ ज्ञान मुद्रा में रखें, दाईं नासिका से नियंत्रित गति से श्वास लें तथा फिर यथाशक्ति कुंभक करें, जालंधर बंध लगाएँ। फिर धीरे-धीरे जालंधर बंध हटाएँ, नियंत्रित गति से रेचक करें। यह सूर्यभेदी प्राणायाम हुआ। इसी तरह बार-बार प्राणायाम करें। इसमें पूरक, कुंभक, रेचक को 1:4:2 के अनुपात में रखते हैं।
सूर्यभेदन प्राणायाम की विधि निम्नलिखित रूप से है:
1. शुरुआत में, एक शांत और स्थिर स्थान पर बैठें, जिसमें आपकी पीठ सीधी हो और शरीर का तनाव कम हो।
2. अपनी आंखें बंद करें और ध्यान अपनी श्वास धारण करें।
3. दाहिनी नासिका को अपने अंगूठे से धरें और वाम नासिका को अपनी उंगली के माध्यम से बंद करें।
4. अब आपको धीरे से नासिका से साँस लेनी है। श्वास गहराई से और संयमित रूप से लें।
5. श्वास रोकें और ध्यान को अपने इस धारणा पर केंद्रित करें कि आपका विश्वास दाहिनी नासिका के माध्यम से ले रहा है।
6. श्वास को धीरे-धीरे छोड़ें, फिर आराम से श्वास लें, और पुनः श्वास को रोकें।
7. ध्यान और ध्यान रखें कि प्राण की चाल केवल दाहिनी नासिका के माध्यम से हो रही है।
8. धीरे-धीरे अभ्यास को बढ़ाएं और श्वास की गहराई को बढ़ाने का प्रयास करें, लेकिन शांति और संयम को संभालें।
9. १०-१५ मिनट तक इस प्राणायाम का अभ्यास करें।
ध्यान दें कि सूर्यभेदन प्राणायाम को सही तरीके से करने के लिए ध्यान और संयम की आवश्यकता है। यह प्राणायाम केवल योग गाइड की निर्देशन में किया जाना चाहिए और किसी अनुभवी योग गुरु की निगरानी में होना चाहिए। इसे नियमित अभ्यास करने से आपका शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य सुधार सकता है।
सूर्यभेदन प्राणायाम के लाभ – इस प्राणायम के प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं –
(1) यह बुढ़ापा तथा मृत्यु को दूर करता है।
(2) इससे कफ दोष दूर होते हैं।
(3) इस प्राणायाम को करने से मोटापा कम होता है।
(4) यह प्राणायाम कुंडलिनी शक्ति को जाग्रत करता है।
सूर्यभेदन प्राणायाम की सावधानियाँ – सूयभेदन प्राणायाम में निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए –
(1) कुंभक की संख्या धीरे-धीरे बढ़ानी चाहिए।
(2) पित्त जिन्हें ज्यादा बनता हो वे इस प्राणायाम को न करें।
(3) सूर्यभेदी एक शक्तिशाली प्राणायाम है, इसका अभ्यास एक कुशल मार्गदर्शन में ही करना चाहिए।
(4) भोजन के बाद यह प्राणायाम कभी न करें।
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