थायराइड (Thyroid) – अत्यधिक तनाव और भागदौड़ भरी जिंदगी में बीमारी अधिक रूप से फैलने लगी है जिससे मरीजों की संख्या में इजाफा होता जा रहा है। थायराइड रोग से विश्व के बहुत से लोग प्रभावित हैं। थायराइड (Thyroid) आजकल एक आम समस्या है यह बीमारी महिलाओ में अधिकतर देखने को मिलती है।
थायराइड (Thyroid) क्या है? थायराइड के प्रकार के बारे में जानकारी
थायराइड (Thyroid) किसी रोग का नाम नहीं है, यह एक ग्रंथि है जिसकी वजह से यह रोग हो जाता है, इसलिए इसे थायराइड ही कह देते है। थायराइड (Thyroid) हमारे गले के ठीक आगे की तरफ एक ग्रंथि होती है, इस ग्रंथि से थायरोक्सिन हार्मोन का स्त्राव होता है जिसका काम शरीर के मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित कर इसे संतुलित करना होता है। यह ग्रंथि भोजन को बदलकर शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है। थायरोक्सिन हार्मोन असंतुलित होने पर यह रोग बन जाता है, जिससे हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता काम हो जाती है जिससे हमारे शरीर में कई समस्याएं उत्पन्न होने लगती है। हार्मोन्स कम होने पर शरीर का मेटाबॉलिज़्म अधिक हो जाता है जिससे शरीर की ऊर्जा तेजी से खत्म होने लगती है, हार्मोन्स के अधिक होने पर मेटाबॉलिज़्म बहुत कम हो जाता है जिससे शरीर में सुस्ती और थकान बढ़ती है।
थाइराइड दो प्रकार का होता है –
1. हायपरथाइरॉइड – जब थायराइड (Thyroid) ग्रंथि से ज्यादा मात्रा में थरोक्सिन हार्मोन बनने लगता है तो यह हायपरथाइरॉइड कहलाता है। हायपरथाइरॉइड से पीड़ित व्यक्ति को बहुत अधिक भूक लगती है, उसके शरीर का वजन अचानक से कम हो जाता है, गर्मी अधिक लगती है पसीना बहुत अधिक आता है नींद कम हो जाती है या आती ही नहीं धड़कन हमेशा बड़ी हुई रहती है हाथ पैर कांपते है। महिलाओ के मासिक धर्म में अनियमितता होती है तथा रक्तस्त्राव ज्यादा मात्रा में होता है यह रोग 16 – 22 साल की स्त्रियों को ज्यादा होता है।
2. हाइपोथाइराइड – जब थायराइड (Thyroid) ग्रंथि से बहुत कम मात्रा में थरोक्सिन हार्मोन बनते है तो यह हाइपोथाइराइड कहलाता है। हाइपोथाइराइड में व्यक्ति के वजन में वृद्धि तो होती है परन्तु वह सुस्त हो जाता है दैनिक कार्यो में रूचि नहीं काम हो जाती है। ठण्ड अधिक लगने लगती है आँखों चेहरे व पेरो में सूजन रहती है जिससे चलने में भी दिक्कत होती है कब्ज की शिकायत हो जाती है, बाल कमजोर होकर टूटने लगते है दिमाग में हमेशा तनाव बना रहता है त्वचा में रूखापन आ जाता है। यह रोग मुख्यतः 30 वर्ष से अधिक की महिलाओ में होता है।
थायराइड (Thyroid) के महिलाओं और पुरुषों में कुछ सामान्य लक्षण क्या है?
आमतौर पर थायराइड (Thyroid) के लक्षण का पता जल्दी से नहीं चलता इसलिए इसे साइलेंट किलर के नाम से भी जाना जाता है। इस बीमारी को गंभीरता से न लिया गया तो इससे रोगी की मृत्यु भी हो सकती है इसलिए इसके कुछ सामन्य लक्षणों के बारे में जानना आवश्यक है जिससे समय पर इस बीमारी का इलाज करवाया जा सके।
1. डिप्रेशन होना – थायराइड (Thyroid) रोग से ग्रसित इंसान हमेशा डिप्रेशन में रहने लगता है उसकी यादाश्त कमजोर होने लगती है सोचने समझने की शक्ति कम हो जाती है उसका मन किसी काम में नहीं लगता।
2. थकान और कमजोरी महसूस करना- थायराइड (Thyroid) होने पर व्यक्ति को अत्यधिक थकान लगने लगती है, शरीर का मेटाबॉलिज़्म धीमा होने के कारण शरीर को एनर्जी नहीं मिल पाती जिससे वह सुस्त रहने लगता है और आलसी हो जाता है।
3. शरीर ठंडा रहना – थायराइड (Thyroid) होने के कारण इंसान के शरीर का तापमान तो सामान्य रहता है परन्तु उसके हाथ-पैर व शरीर ठंडा रहता है।
4. बालो और नखनओ का टूटना – थायराइड (Thyroid) से ग्रसित इंसान के बाल झड़ने लगते है और वह गंजा होने लगता है, इसके आलावा आइब्रो के बाल भी झड़ने लगते है नाख़ून रूखे और कमजोर हो जाते है उनपर दरारे दिखने लगती है और जल्दी टूटने लगते है।
5. जोड़ो में दर्द रहना – रोगी के जोड़ो और मांसपेशियों में दर्द रहने लगता है जिससे शरीर में कमजोरी आ जाती है।
6. पेट ख़राब होना – थायराइड (Thyroid) के कारण खाने का पाचन ठीक से नहीं होता जिससे रोगी को कब्ज व पेट की अन्य समस्या भी हो जाती है, इससे रोगी के शरीर के वजन में असर पड़ता है।
7. त्वचा का ड्राई होना – इस रोग में रोगी की त्वचा सुख जाती है जिससे उसकी स्किन पूरी तरह से रूखी सी हो जाती है।
8. रोग-प्रतिरोधक क्षमता का काम होना- थायराइड (Thyroid) के कारण रोगी की रोग – प्रतिरोधक क्षमता में कमी हो जाती है जिससे वह कई बीमारियों की चपेट में आने लगता है।
9. खाने की समस्या होना – इस रोग में अधिक भूक लगने पर भी खाया नहीं जाता है, और कभी ज्यादा खाने पर भी भूख लगी रहती है और वजन भी तेजी से घटने लगता है। थायराइड (Thyroid) से ग्रसित रोगी में मौसम का प्रभाव ज्यादा होने लगता है। हाइपोथायराइड होने पर रोगी को ज्यादा गर्मी लगेगी और हाइपोथायराइड होने पर उसे सर्दी सहन नहीं होगी।
10. मासिक धर्म में अनियमितता- थायराइड (Thyroid) के कारण महिलाओ के मासिक धर्म में अनियमितता हो जाती है, दो पीरियड्स के बीच अंतराल ज्यादा या काम हो जाता है।
11. बच्चो के विकास पर प्रभाव – थायराइड (Thyroid) की समस्या बच्चो में कम होती है पर अगर थायराइड रोग बच्चो में हो जाये तो उसके विकास पर बुरा असर पड़ता है। थायराइड (Thyroid) रोग होने पर बच्चो में थकान, कमजोरी, वजन बढ़ना, लम्बाई ना बढ़ना, चिड़चिड़ापन इत्यादि समस्याएं हो जाती है। इस रोग का उपचार मेडिकल दवाइयों के आलावा घरेलु और देसी तरीको से भी करा जा सकता है।
थायराइड (Thyroid) रोग होने के कारण | थायराइड के कारण होने वाले रोग
1. इस रोग का मुख्य कारण अधिक तनाव (टेंशन) लेना है अधिक टेंशन लेने से थायराइड (Thyroid) ग्रंथि पर बुरा असर पड़ता है।
2. भोजन में आयोडीन कम या अधिक लेने से भी थायराइड (Thyroid) की प्रॉब्लम हो जाती है।
3. किसी दवा के साइड – इफ़ेक्ट के कारण भी यह रोग हो जाता है।
4. यह एक अनुवांशिक रोग भी है, परिवार में किसी व्यक्ति को यह रोग हो तो परिवार के दूसरे व्यक्ति में यह रोग होने की सम्भावना अधिक होती है।
5. सप्लीमेंट्स, कैप्सूल और प्रोटीन पाउडर जैसे अन्य सोया उत्पादों के अधिक सेवन से भी यह बीमारी बढ़ती है।
6. प्रेगनेंसी के समय में गर्भवती महिला के हार्मोन में बदलाव होते है जिससे उनमे थायराइड (Thyroid) रोग होने की सम्भावना अधिक होती है।
7. प्रदुषण के कारण हमें कई तरह की बीमारी होती है जिससे साँस के रोग भी हो जाते है जो की थायराइड ग्रंथि को नुकसान करते है जिससे यह रोग हो जाता है
थायराइड (Thyroid) रोग में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए?
थायराइड (Thyroid) रोग में क्या खाना चाहिए –
1. थायराइड के रोगी को अपने आहार में विटामिन ए का प्रयोग अधिक मात्रा में करना चाहिए,
2. गाजर, हरी सब्जियां खूब खानी चाहिए।
3. पानी अधिक मात्रा में (लगभग 3 – 4 लीटर) पीना चाहिए।
4. आयोडीन नमक की जगह सेंधा नमक लेना चाहिए, अथवा नेचुरल आयोडीन जैसे टमाटर, प्याज, लहसुन का सेवन करना चाहिए।
5. प्रतिदिन फलों का जूस तथा हफ्ते में एक बार नारियल पानी भी पीना चाहिए।
थायराइड (Thyroid) रोग में क्या खाना नहीं चाहिए –
1. इस रोग में रोगी को अधिक आयोडीन वाले नमक का सेवन नहीं करना चाहिए।
2. वनस्पति घी अथवा डालडा का प्रयोग नहीं करना चाइये यह कॉलस्ट्रॉल को बढ़ाने के साथ थायराइड को भी बढ़ाता है।
3. कैफीन प्रोडक्ट जैसे चाय, कॉफी का सेवन काम करना चाहिए।
4. नशीले पदार्थो जैसे सिगरेट, तम्बाकू और अन्य नशीले पेय जैसे शराब- बियर इत्यादि का सेवन नहीं करना चाहिए।
थायराइड (Thyroid) के घरेलू उपाय क्या है? थायराइड के घरेलू उपाय की विधि
1. हल्दी वाला दूध: थायराइड को नियंत्रित करने के लिए हल्दी वाले दूध का सेवन नियमित रूप से करना चाहिए।
2. लोकी-जूस: प्रतिदिन सुबह खली पेट लोकी का जूस पीना चाहिए इससे थायराइड (Thyroid) कम होता है, जूस पीने के आधे घंटे तक कुछ नहीं खाना-पीना चाहिए।
3. प्याज: प्याज थायरायड को कम करने का सबसे कारगर उपाय में से है। प्याज को बीच से काटकर रत में सोने से पहले थायराइड (Thyroid) ग्रंथि के पास मसाज करने से लाभ मिलता है।
4. धनिया: थायराइड को नियंत्रित रखने के लिए हरे धनिये का नियमित प्रयोग करना चाहिए इसके लिए धनिये को पीसकर चटनी बना ले और उसके बाद एक गिलास पानी लेकर उसमे एक चम्मच चटनी घोलकर पी जाये। यह नियमित रूप से करने पर थायराइड नियंत्रित रहेगा।
5. एलोवेरा और तुलसी: दो चम्मच तुलसी और आधा चम्मच एलोवेरा रस मिलाकर पीने से थायराइड (Thyroid) रोग से छुटकारा मिलता है।
6. व्यायाम: प्रतिदिन आधे से एक घंटे व्यायाम करना चाहिए इससे शरीर एक्टिव रहता ह और थायराइड की समस्या नहीं होती। बादाम और अखरोट का सेवन करने से भी थायराइड के इलाज में फायदा मिलता है। बादाम और अखरोट में सेलेनियम पाया जाता है जो की थायराइड ग्रंथि के कार्य को नियंत्रित कर थराइड की समस्या को ख़त्म करता है।
7. रात को सोने से पहले अश्वगंधा चूर्ण को गाय के गुनगुने दूध में डालकर लेना चाहिए।
8. निम्बू की पत्तियों की चाय बनाकर पीने से थायराइड रोग को नियंत्रित किया जा सकता है।
थायराइड (Thyroid) रोग के लिए योग आसनों द्वारा उपाय की विधि एवं जानकारी
थायराइड रोग की समस्या से रोगी न ढंग से खाना खा पाता एवं न सो पाता है। थायराइड से पीड़ित लोगो के लिए योग से उपाय बहुत लाभदायक एवं आराम दायक होता है। तो आईये कुछ ऐसे योग विधि जिनका प्रतिदिन अभ्यास करके थायराइड रोग की समस्या का उपाय होता है –
1. मत्स्यासन
2. सर्वांगासन
3. हलासन
4. जालंधर बंध
5. प्राणायाम
6. ध्यान (मेडिटेशन)
इसे भी पढे – योग क्या है अर्थ परिभाषा | लाभ एवं सावधानियां, योग की विधि