वमन धौति (कुंजल) की विधि – सीधे खड़े होकर पूरे पेट भर कुनकुना नमकीन जल पीते हुए तब तक पीना है जब कि इसे वमन करने की इच्छा न हो, फिर धड़ को जमीन के समानांतर कर दो-तीन अंगुलियों को जीभ के ऊपर रखकर जिह्वा मूल को दबाते हुए अंगुलियों को जीभ के ऊपर धीरे-धीरे आगे-पीछे करें। इससे पानी बिना प्रयास के पेट से बाहर निकल आता है। शरीर को शिथिल कर जल को स्वतंत्रतापूर्वक बाहर आने दें। वमन करते समय अंगुलियों को निकाल लेना है। जब पानी बाहर आना बंद हो जाए तो अंगुलियों को पुन: मुँह के भीतर ले जाकर वही क्रिया तब तक दोहराना चाहिए जब तक कि पेट पूर्णत: खाली न हो जाए। इस अभ्यास (वमन धौति) में पूर्णतः निष्णात होने के बाद दंड धौति का अभ्यास किया जाता है जिसमें रबर के कैथेटर (नली) के माध्यम से पानी को पेट से बाहर निकाला जाता है।
वमन धौति के लाभ – वमन धौति के निम्नलिखित लाभ हैं-
(1) यह शरीर को विकार रहित रखता है। सप्ताह में दो-तीन बार करें।
(2) इससे मूँह और पेट की उचित सफाई होती है।
(3) श्वास की दुर्गंध, गले का बलगम आदि दूर होता है।
(4) अस्थमा के मरीज को इससे अत्यधिक आराम मिलता है।
वमन धौति की सावधानियाँ – इसमें निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-
(1) भोजन के कम से कम छ: घंटे के बाद ही यह क्रिया करनी चाहिए अर्थात खाली पेट ही (प्रात: काल)
(2) उच्च रक्तचाप वाले व्यक्तियों को यह क्रिया कदापि नहीं करनी चाहिए।
(3) एक कुशल प्रशिक्षक के निर्देशन पर ही यह क्रिया करें।
इसे भी पढे – नाड़ी का अर्थ एवं नाड़ी के प्रकार षट्चक्र क्या है इन हिंदी