वस्त्रधौति क्या है।
‘वस्त्र’ का अर्थ है कपड़ा। पेट एवं भोजन नली को कपड़े से साफ करने की क्रिया वस्त्रधौति है। वस्त्रधौति एक अत्यंत लाभकारी शोधन योग क्रिया है जो पुरे शरीर को साफ करते हुए शरीर से विषैले पदार्थ को बाहर निकालने में मदद करता है। शरीर से हानिकारक पदार्थ को वस्त्र के मदद से निकाला जाता है।
योगिक ग्रन्थ हठप्रदीपिका में वस्त्रधौति को इस तरह से दर्शाया गया है।
चतुरङ्गुलविस्तारं हस्तपंचदशायतम्।
गुरुपदिष्टमार्गेण सिक्तं वस्त्रं शनैर्ग्रसेत्।
पुनः प्रत्याहरेच्चैतदुदितं धौतिकर्म तत्।। – ह.प्र. 2/24
गीले कपड़े की चार अंगुल (लगभग 4-5 सेंटीमीटर) चौड़ी और 15 हाथ (लगभग 6 मीटर) लंबी पट्टी को धीरे-धीरे निगला जाता है और उसके बाद बाहर निकाल लिया जाता है। इसे धौति (आंतरिक शोधन) कहते हैं।
वस्त्रधौति की विधि।
- सबसे पहले आप बारीक मुलायम सूती कपड़े का तीन से छह इंच तक चौड़ा और आठ गज लंबा टुकड़ा लें।
- कपड़े को पानी और साबुन से अच्छी तरह से धो लें।
- उसके बाद इसे पांच मिनट तक पानी में उबालें।
- ठीक से निचोड़ें तथा साफ स्थान पर सुखा लें।
- कागासन में बैठें।
- मुंह को पूरा खोलकर कपड़े का एक सिरा गले के भीतर ले जाएं, दूसरा सिरा जीभ पर फैलाएं और अंगुलियों को इस तरह बाहर लाएं कि कपड़ा उसी तरह रहे।
- जीभ हिलाकर कपड़े को धीरे-धीरे निगलना आरंभ करें।
- यदि कपड़ा गले में फंस जाता है और नीचे नहीं जाता है तो एक घूंट गर्म पानी पी लें किंतु अधिक पानी नहीं पिएं क्योंकि पेट में कपड़ा भरना है, पानी नहीं।
- कपड़ा निगलते रहें और वमन नहीं होने दें।
- जब दो-तिहाई कपड़ा निगल लें थोड़ा कपड़ा मुंह से बाहर लटकता रहने दें।
- अब आप खड़े हो जाएं तथा हाथों को घुटनों पर रखें और पेट को बाईं ओर से इस प्रकार घुमाते हुए नौली क्रिया करें, जैसे किसी मिक्सर में सामग्री को मथा जाता है।
- दाईं ओर से भी यही क्रिया दोहराएं।
- कपड़ा बाहर निकालने के लिए बाहरी छोर पकड़ें और धीरे धीरे बाहर खींच लें। यदि कोई कठिनाई हो रही हो तो कुछ पानी पिए और कुछ कपड़ा निगलकर उसे वापस खींचना आरंभ करें। इसके करने से कपड़ा सीधा हो जाएगा और आसानी से बाहर आ जाएगा।
वस्त्र धौति क्रिया के लाभ और सावधानियां की जानकारी इन हिंदी
लाभ – वस्त्र धौति से निम्लनलिखित लाभ होते हैं-
(1) इससे मुँह और पेट की सफाई होती है।
(2) इससे जठराग्नि एवं पाचन क्रिया तीव्र होती है। पेट में उपस्थित कृमि नष्ट होते हैं।
(3) वस्त्र धौति उदरस्थ सभी अंगों की क्रियाशीलता बढ़ाती है।
(4) कब्ज, गैस, यकृत विकार तथा अपच में लाभदायक है।
सावधानियाँ – वस्त्र धौति में निम्नलिखित सावधानियाँ रखनी चाहिए-
(।) कपड़े को हमेशा जीभ से सटाकर रखना चाहिए।
(2) लार से लिपटा हुआ कपड़ा थोड़ा-थोड़ा करके गले में उतारना चाहिए। बीच-बीच में थोड़ा-थोड़ा पानी पीकर कपड़े को गले में उतारना चाहिए।
(3) प्रारंभ में किसी सुयोग्य प्रश्क्षिक के मार्ग दर्शन में ही करें।
(4) निगलने के बाद कुछ देर तक (एक मिनट) नौलि करना है जिससे कि कपड़ा पेट के सभी भागों तक पहुँचकर वहाँ का कफ, पित्त आदि समेट ले। कपड़े को अधिक देर तक पेट में नहीं रखना चाहिए। इससे कपड़े के नीचे जाने की भी संभावना रहती है।
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